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चिन्यालीसौड़ में त्रिमूर्ति महाशिवरात्रि महोत्सव का ध्वजारोहण व आध्यात्मिक प्रवचन के साथ दीप प्रज्वलित कर समागम का किया आगाज । UK24X7LIVENEWS

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, के क्षेत्रीय केन्द्र चिन्यालीसौड़ सुलितठाग में रविवार को तीन त्रिमूर्ति महा-शिवरात्रि महोत्सव ध्वजारोहण व आध्यात्मिक प्रवचन के साथ शुरू हुआ। इसमें सेवा निवृत्त नेत्र चिकित्सक डॉ जे पी सकलानी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए।
रविवार को सुलितठाग में ब्रह्मकुमारी संस्था द्वारा महाशिवरात्रि पर्व युग परिवर्तन का आधार कार्यक्रम किया। जिसमे मुख्या अतिथि डॉ सकलानी ने ब्रह्मकुमारी के निदेशक गढ़वाल मंडल मेहर चन्द के साथ मिलकर शिव का झंडा लहराया। मुख्य मेहमान ने दीपक प्रज्वलित करके समागम का आगाज किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महाशिवरात्री का त्योहार सभी त्योहारों में से महान है। चूंकि यह निराकार परमात्मा शिव के अवतरण का यादगार पल है। उन्होंने बताया कि यह त्योहार सभी धर्मों को एक धागे में पिरोने वाला है, जिससे विश्व में शांति, एकता,सद्भावना व भाईचारे को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य कई भौतिक साधनों से भरपूर है, लेकिन उसके पास संतोष नहीं है।महोत्सव में महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को उजागर करते हुए ब्रह्मकुमारी के गढ़वाल मंडल के निदेशक बाल ब्रह्मचारी मेहर चन्द प्रभारी बी.के.कमल ने कहा कि सभी धर्मग्रंथों में स्पष्ट है कि जब-जब धर्म की अति ग्लानि होती है, तब-तब परमपिता शिव बाबा इस सृष्टि पर अवरित होकर नई सतयुगी सृष्टि रचते है। परिवर्तन सृष्टि चक्र का शाश्वत नियम है। सृष्टिचक्र में सतयुग के बाद त्रेतायुग, द्वापरयुग और फिर कलियुग तय है। वर्तमान में प्रकृति के पांचों तत्वों में बिगड़ता असंतुलन मानव के कर्मों का निम्न स्तर और हर चीज की अति परिवर्तन के प्रबल संकेत दे रहा हैं परिवर्तन की इस बेला में आध्यात्मिक चिंतन,मनन, सतकर्म सदभाव, सद्व्यवहार और अपने आत्म स्वरूप को जानकर नए युग का निर्माण करना हैै।

मेहर ने कहा कि हम स्वयं को आत्मा समझ निराकार परमात्मा के साथ आत्म व बुद्धि के तार जोड़कर अनेक बुराइयों व अवगुणों को समाप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि परमपिता परमात्मा शिव हमें विकारों को समाप्त करने की शक्ति देते है। दुःख और कष्ट से मुक्ति के लिए परमात्मा शिव से योग लगाएं। निराकार शिव परमात्मा इस धरा पर आकर आत्मा के अंदर व्याप्त अंधकार रूपी रात्रि को समाप्त करते है, जिससे मनुष्य जीवन और सृष्टि सतयुगी हो जाती है।
करनाल से आई बहिन राजयोगिनी नीलम दीदी व बहिन बी के दक्षिता, बी के सुनीता,भाई विनोद डोभाल,प्रेम लाल उनियाल,मार्कण्डेय प्रसाद नौटियाल, मनवीर पंवार,शांति प्रसाद नौटियाल व सेवाकेन्द्र में आने वाले अनुयायी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

✍️मनमोहन भट्ट

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