उत्तराखंड में बेरोजगारी किस सीमा पर है, इसका अंदाजा आप हाल में आई रिपोर्ट से लगा सकते हैं, जिसमें राज्य का हर दसवां मतदाता बेरोजगार बताया गया था। अब सवाल यह है कि वाकई राज्य सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में नाकामयाब साबित हो रही या फिर सेंटिंग के नाम पर नौकरियों का धंधा चल रहा है। एक तरफ उत्तराखंड का बेरोजगार युवा रोजगार मांग रहा है तो वहीं एम्स ऋषिकेश में राजस्थान के 600 लोगों की नियुक्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में ऋषिकेश एम्स में सीबीआई के छापे ने अधिकारियों की नींद उड़ा दी थी। सीबीआई की टीम ने एम्स निदेशक के कार्यालय के सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है और आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गई कर्मचारियों की नियुक्ति में भी काफी झोल बताये जा रहे थे। अभी यह मामला ठंडा पड़ा नहीं था कि स्थायी कर्मचारियों की भर्ती को लेकर बड़ी बात सामने आई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2018-2020 के बीच ऋषिकेश एम्स में नर्सिंग संवर्ग में 800 पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। हैरान कर देने वाली बात यह है कि 800 पदों में से 600 पदों पर राजस्थान के अभ्यर्थियों का चयन किया गया, इतना ही नहीं, इस भर्ती में एक ही परिवार के 6 लोगों को भी नियुक्ति दी गई है। एक राज्य के इतनै अभ्यर्थियों का चयन होने नियुक्तियां भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में खड़ा कर रही हैं।
पूरे मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को शिकायत दी गई है। वहीं इस मामले में एम्स ऋषिकेश के पीआरओ हरीश मोहन थपलियाल का कहना है कि एम्स में नर्सिंग संवर्ग के पदों पर नियमानुसार भर्ती की गई है । योग्य अभ्यर्थियों की स्थिति में राज्य कोई विषय नहीं है ।