मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा में ‘सुरई इकोटूरिज्म जोन’ में जंगल सफारी का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने जंगल सफारी भी की। सुरई इकोटूरिज्म जोन’ प्रदेश का पहला ऐसा इकोटूरिज्म जोन है ,जहां पर्यटक जंगल सफारी का लुत्फ उठा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खटीमा व आसपास के क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र में ऊंचा स्थान दिलाना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। जैव विविधता और वन्य जीवों की मौजूदगी वाले ‘तराई पूर्वी वन प्रभाग’ को योजनाबद्ध तरीके से विकसित कर उसके सुरई वन क्षेत्र को इको टूरिज्म जोन के रूप में तब्दील किया जाएगा, ताकि यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य का उपयोग स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मुहैया करवाने में किया जा सके।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वन कानून की जटिलताओं के कारण वनों के आसपास रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनकी खेती भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि इस कठिनाई को समझते हुए हमने निर्णय लिया है कि वन और वन्य जीवों को आर्थिकी से जोड़ते हुए स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर मुहैया करवाए जाएंगे। इसी सोच के साथ हमने बीते 1 अक्टूबर 2021 को ‘सीएम यंग ईकोप्रिन्योर योजना’ देहरादून में लॉच की थी। इस योजना का क्रियान्वयन शुरू कर दिया गया है। शुरुआत के तौर पर खटीमा में ‘सुरई इकोटूरिज्म जोन’ विकसित कर उसमें जंगल सफारी प्रारम्भ की जा रही है। ग्राम समितियों के जरिए इस योजना का संचालन किया जाएगा। जंगल सफारी शुरू होने से जिप्सी मालिक, चालक और गाइड के रूप में स्थानीय युवाओं को रोजागर मिलेगा। इसके लिए वन विभाग ने 30 जिप्सी संचालकों के साथ करार किया है। गाइड की भूमिका का सही निर्वहन करने के लिए कई युवकों को वन विभाग इसका प्रशिक्षण दे चुका है। ‘सुरई इकोटूरिज्म जोन’ में पर्यटकों की आमद से स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। पूरे प्रदेश में इस योजना को विस्तार दिया जाएगा ताकि वनों, वन क्षेत्रों और वन्य जीवों को हम अपनी कमजोरी नहीं ताकत बना सकें। उन्होंने कहा कि सीएम यंग ईको प्रिन्योर स्कीम के अंतर्गत नेचर गाइड, ड्रोन पायलट, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, ईकोटूरिज़्म, वन्यजीव टूरिज़्म आधारित कौशल को उद्यम में परिवर्तित किया जाएगा।
सुरई इकोटूरिज्म जोन👇
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की थी कि सुरई वनों की समृद्ध जैव विविधता को देखते हुए इसे क्षेत्र को सुरई इको टूरिज्म जोन (सुरई पारिस्थितिकी पर्यटन क्षेत्र) का स्वरूप प्रदान किया जाएगा। इसके दो लाभ होंगे पहला यह कि जनसहभागिता सुनिश्चित करते हुए जैव विविधता के धनी इसे क्षेत्र को संरक्षित किया जाएगा और दूसरा, इसके वन मार्गों को जंगल सफारी के लिए विकसित किए जाने से यहां रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। वन विभाग ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर काम करते हुए सुरई वन क्षेत्र के वन मार्गों को जैव विविधता ट्रेल के रूप में विकसित कर दिया है। यह क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसके सीमा में पूर्व दिशा में शारदा सागर डैंम, पश्चिम में खटीमा नगर, उत्तर में मेलाघाट रोड तथा दक्षिण में पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र सटा हुआ है। प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत इस वन क्षेत्र में साल के वृक्षों, चारागाह और पानी की प्रचुर मात्रा में है। इन तमाम वजहों से यहां बाघों की आवाजाही बनी रहती है। इसके अलावा स्तनधारी जानवरों की लगभग 125, पक्षियों की 150 से अधिक और सरीसृपों को तकरीबन 20 प्रजातियां भी इस वन क्षेत्र में पाई जाती हैं। यहां के वन मार्गों को विकसित कर लगभग 40 किलोमीटर का ट्रेल जंगल सफारी के लिए तैयार कर लिया गया है, जिसमें जिप्सी में बैठकर पर्यटक दुर्लभ वन्य जीवों (रॉयल बंगाल टाइगर, भालू, चीतल, सांभर, काकड़, पैंगोलिन, कोरल सांप, पांढा आदि) का दीदार करने के साथ ही सुरम्य जंगलों, घास के मैदानों, प्राचीन शारदा नहर और सुन्दर तालाबों का लुत्फ उठा सकेंगे।