उत्तराखंड में पलायन से गांव-गांव खाली हो रहे हैं। पलायन से हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। चाहे हम सुरक्षा व्यवस्था की बात करें या फिर खेती की कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो पलायन का दंश झेलने को मजबूर नहीं है।
पलायन की तमाम विकट स्थितियों के बी हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जिले की जहां पर खेती के लिए औजार बनाने को भी लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। बागेश्वर में पलायन से खाली होते गांवों में लोहारों की भारी कमी देखी जा रही है। आलम ये है कि 20 गांव के अकेले लोहार के पास लंबी वेटिंग देखने को मिल रही है। बागेश्वर जिले के तमाम गांवों में अब एक भी लोहार नहीं है। ऐसे में अब लोगों को खेती के पुराने उपकरणों की मरम्मत करानी हो या नये बनवाने हों, उन्हें इसके लिए 50-50 किलोमीटर तक का सफर कर बागेश्वर पहुंचना पड़ रहा है। इसके साथ ही पड़ोसी जिले अल्मोड़ा के सोमेश्वर तक से लोग इसी काम के लिए बागेश्वर पहुंच रहे हैं। बागेश्वर-सोमेश्वर रोड में घन्नू लोहार घनश्याम कुमार के यहां सुबह छह बजे से कृषि उपकरणों की मरम्मत या नया बनाने के लिए लोगों का आना शुरू हो जाता है। वीर शाम तक भाग काफी संख्या में लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं और नए उपकरण बनवाने या पुराने उपकरण की मरम्मत कराने के बाद अपने गंतव्य को वापस लौटते हैं।