उत्तराखंड की सियासत में क्या एक बार फिर निर्दलियों का दम दिखेगा ? प्रदेश की सत्ता बनाने में वे फिर किंग मेकर भूमिका निभाएंगे ? ऐसे ही कई सवाल सियासी हलकों में खूब गरमा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस बेशक प्रदेश में अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा ठोक रहे हैं । मगर अंदर से दोनों ही दल चुनाव के नतीजों को लेकर डरे हुए हैं।
विधानसभा सीटों से जो रुझान प्राप्त हो रहे हैं, उनमें प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल के अलावा निर्दलियों के दमदार प्रदर्शन की भी खूब चर्चा हो रही है । हालांकि 10 मार्च को दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन प्रदेश में सरकार बनाने को बेताब भाजपा और कांग्रेस परिणाम आने से पहले सभी तरह की संभावनाओं पर निगाह बनाए हुए हैं।
यमुनोत्री और धनौल्टी सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने दमदार चुनाव लड़ा 👇
सियासी हलकों में तैर रही चर्चाओं के मुताबिक, यमुनोत्री विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल और धनौल्टी विधानसभा में महावीर सिंह रांगड़ ने दमदार चुनाव लड़ा । टिहरी विस सीट पर उत्तराखंड जन एकता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश धनै ने भी भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती दी है। इन तीनों प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की निगाह में बने हुए हैं ।
भाजपा और कांग्रेस के दावे से इतर यदि प्रदेश में विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो फिर निर्दलीय व अन्य दलों के प्रत्याशी किंग मेकर भूमिका में होंगे। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव इसके गवाह हैं। इन दोनों ही चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। तब गैरभाजपा और गैर कांग्रेसी विधायकों की मदद से सरकारों का गठन हुआ। 2017 के विस चुनाव में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत था, इसलिए निर्दलीय को उतना महत्व नहीं मिल सका ।