सुंदरता के लिहाज से देखा जाए तो पूरा उत्तराखंड ही बेहद खूबसूत है। चारों तरफ हरियाली और ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़ इस राज्य की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इसके साथ ही यहां आपको कई भव्य मंदिर भी देखने को मिलेंगे। लेकिन अक्सर लोगों को आपने यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि उत्तराखंड देवभूमि है। यानि उत्तराखंड में भगवान का निवास है। ऐसा क्यों कहा जाता है क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है। शायद नहीं, तो आज हम आपको उत्तराखंड को देवभूमि कहे जाने की पीछे का कारण बताएंगे। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
देहरादून : जनपद के चकराता ब्लॉक के अंतर्गत लाखामंडल के पास धौरा गांव मे खुदाई के दौरान प्राचीन महत्व के शिवलिंग और पत्थर की लघु शिलाएं मिलीं। शिवलिंग मिलने की सूचना से कई लोग मौके पर पहुंचे और वहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी। स्थानीय लोगों ने वहीं देवी माता मंदिर के पास कई और शिवलिंग होने की बात कही।
जौनसार-बावर के लाखामंडल में पांडवकालीन समय का प्राचीन भव्य शिव मंदिर है। नागर शैली में बने लाखामंडल के शिव मंदिर को देखने और भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं । कुछ वर्षों पहले खुदाई के दौरान यहां दर्जनों शिवलिंग और कई देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां मिली। जिन्हें लाखामंडल में बने एएसआइ के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। लाखामंडल मंदिर की प्राचीन महत्ता को देख केंद्र सरकार ने इसे केंद्रीय संरक्षित धरोहर स्मारक घोषित किया है । आजकल लाखामंडल से करीब चार सौ मीटर दूर धौरा गांव के पास प्राचीन महत्व के शिवलिंग और विशेष आकृति की पत्थरनुमा लघु शिलाएं मिल रही है ।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं भाजपा नेता दीपक एवं अनिल वर्मा, धर्मेंद्र ,मोहित बॉबी ,मंगतराम ,रोशन ,वीरेंद्र, संजय, रोहित ,विक्रम ,गोविंद, राधेश्याम आदि ने बताया कि जिस जगह ग्रामीण एवं पर्यटन विभाग खुदाई कर रहे थे वहीं पास में देवी माता का मंदिर भी है और मंदिर के पास ही प्राचीन महत्व के शिवलिंग मिले। इसके अलावा लोगों ने देवी माता मंदिर के पास कुछ और शिवलिंग होने की बात कही है और ग्रामीणों ने यह भी बताया कि आजकल यहां पर सौंदर्यकरण का कार्य पर्यटन विभाग के द्वारा करवाया जा रहा है और इसी दौरान ही यह शिवलिंग मिल रही है।