राजधानी देहरादून के एक प्रतिष्ठित विश्विद्यालय में विदेशी छात्रा के साथ छात्रावास में घुसकर दुष्कर्म की खौफनाक घटना सामने आई है. मतलब साफ है कि छात्राओं के लिए निजी विश्विद्यालयों के छात्रावास भी अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं. ये दुस्साहस कुछ दिन पहले एक बच्ची के साथ आईएसबीटी में बस के अंदर हुए सामूहिक दुष्कर्म के कुछ ही दूरी के फासले पर हुआ है.
युवाओं के हित की बात करने वाली और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार ऐसे निजी विश्विद्यालयों के खिलाफ कार्यवाही करने से क्यों कतरा रही है ?
कब तक देश के भविष्य के साथ ये निजी विश्विद्यालय खिलवाड़ करते रहेंगे ?
शिक्षा सेवा का कार्य का है, लेकिन इन निजी विश्विद्यालयों ने शिक्षा को व्यापार का अड्डा बना दिया है.
प्लेसमेंट के नाम पर बड़ी और छोटी कंपनियों की मिलीभगत के साथ छात्रों को धोखा दिया जा रहा है. 1 से 2 महीने जॉब पर रखकर उनको बाहर निकाल दिया जा रहा है.
कॉलेज के बच्चे नशाखोरी की तरफ जा रहे हैं. देर रात पार्टियां फिर उसमें प्रतिबंधित ड्रग्स का सेवन हो रहा है ? ये ड्रग्स आखिर कैसे छात्रों तक पहुंच रहा है ? क्या कोई बड़ा नेटवर्क है जो बच्चों को नशाखोरी में धकेल रहा है ? और उस नेटवर्क के सिर पर किस रसूखदार का हाथ है, जो पुलिस भी इनको नहीं रोक पा रही है. दूसरी तरफ निजी विश्विद्यालय इस बात से अभी तक क्यों अंजान हैं ? या फिर जानबूझकर ये सब होने दे रहे हैं ?
टीवी, अखबार और सड़कों पर बड़े बड़े विज्ञापन लगाकर ड्रीम्ड़ यूनिवर्सिटी का ढ़ोल पीटने वाले निजी विश्विद्यालय के मालिकों पर कार्यवाही कब होगी, जो सुनहरे सपने दिखाकर छात्र-छात्राओं के भविष्य को अंधेर में धकेल रहे हैं ?
मैं केंद्र सरकार एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मांग करता हूँ कि ऐसे निजी विश्विद्यालयों, सोसाइटी के सभी सदस्यों और इनकी डाइरेक्टर्स की संपत्तियों की जांच कर इनकी मान्यता को रद्द किया जाए और साथ ही इन विश्विद्यालयों में सघन चैकिंग और जांच कर ड्रग्स पहुंचाने वाले गैंग पर कठोरतम कार्यवाही की जाए.