उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने को लेकर सरकार के आदेश पर अब राजनीति तेज हो गई है। जहां एक ओर बीजेपी और सरकार इसे अच्छा कदम बता रही है, तो वहीं कांग्रेस ने इस निर्णय का जमकर विरोध किया है। सरकारी कर्मचारी भी इसको लेकर कोई टिप्पणी करने से बचते नजर आ रहे हैं।
उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे इसको लेकर सरकारी आदेश जारी किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में राज्य कर्मचारियों की भागीदारी को उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि आरएसएस ही एकमात्र ऐसी संस्था है जो राष्ट्रवाद के लिए काम करती है, आरएसएस काम करती है। कर्मचारियों को इन कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अनुमति देना एक अच्छा कदम है। कैबिनेट मंत्री अग्रवाल ने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रमों में राष्ट्रीयता और देश प्रेम की भावना सिखाई जाती है। देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी आरएसएस से जुड़े रहे। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है।वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि कांग्रेस इसका विरोध करती है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट है। सरकारी कर्मचारियों के लिए आचार संहिता है। इस नोएडा से सरकारी कर्मचारियों को अपना नौकर बनने की एक साजिश है। उन्होंने कहा कि आरएसएस भारतीय जनता पार्टी का मदर ऑर्गेनाइजेशन है। आरएसएस के एजेंडे पर भारतीय जनता पार्टी काम करती है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि जो कर्मचारी भाजपा की विचारधारा का होगा वह इसका समर्थन करेगा, लेकिन कर्मचारियों की सर्विस बुक में यह लिखा हुआ है कि वह इन-इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि अगर इसके बावजूद भी कर्मचारी इसका समर्थन करते हैं तो हम उनका भी विरोध करते हैं।
वहीं कर्मचारी संगठन के नेता इस विषय में खुलकर कुछ ज्यादा बोलने से बच रहे हैं। सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुनील लखेड़ा ने कहा कि सरकार की ओर से जब यह आदेश जारी किया तो उसके बाद संघ की बैठक हुई और इसको लेकर इसमें विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि यह कर्मचारी की इच्छा पर है कि कोई कर्मचारी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होगा या नहीं इसलिए इसको लेकर विरोध का सवाल नहीं उठाता।
सरकार की ओर से जब भी कोई आदेश जारी होता है तो कर्मचारी उसे आदेश के तहत काम करते हैं। हालांकि यह फैसला स्वैच्छिक है और कर्मचारियों पर निर्भर है कि वह कौन-कौन से कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं, लेकिन इसको लेकर अब प्रदेश में आने वाले दिनों में राजनीति जारी रहेगी।