राजधानी दून में पहली बार वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (सीएक्यूएमएस) ने काम करना शुरू कर दिया है। इस प्रणाली को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दून विश्वविद्यालय के सहयोग से स्थापित किया है। इसके तहत मोथरोवाला स्थित दून विश्वविद्यालय के परिसर में वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के उपकरणों को स्थापित किया गया है।
करीब एक करोड़ रुपये की लागत से दून विश्वविद्यालय में वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (सीएक्यूएमएस) स्थापित की गई है। वायु प्रदूषण का सही डेटा प्राप्त हो सके, इसके लिए इस क्षेत्र को चुना गया है। यह ऐसा क्षेत्र है, जो न तो बहुत प्रदूषित है और न ही बहुत साफ। यहां वायु प्रदूषण की जांच पीएम 2.5 के पैमाने पर की जाती है। हर 15 मिनट में यहां से एक्यूआई डेटा एकत्रित किया जाता है।
पीसीबी की ओर से इस डेटा का विश्लेषण कर अगले दिन सुबह 10 बजे से शहर में लगे 50 स्मार्ट बोर्ड के जरिये प्रदर्शित किया जाता है। जिससे शहरवासियों को अपने शहर की आबोहवा की वैज्ञानिक ढंग से जानकारी प्राप्त हो सके।
राज्य में अब तक प्राप्त डेटा के अनुसार देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर को वायु प्रदूषण के मामले में (नॉन अटेनमेंट सिटी) सबसे प्रदूषित शहरों की श्रेणी में रखा गया है।
यानी यह तीनों शहर वायु प्रदूषण के मानकों को पूरा नहीं करते हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि अभी तक उत्तराखंड के छह शहरों में वायु की गुणवत्ता की हफ्ते में दो दिन मैनुअली जांच की जाती है। इस तरह से सालभर में यह जांच 104 दिन ही हो पाती है।
शीघ्र ही देहरादून में दो और सिस्टम लगाए जाएंगे। इनमें से एक आईटी पार्क, सहस्रधारा और दूसरा आरओ ऑफिस नेहरू कॉलोनी में लगाया जाएगा। ऋषिकेश में भी शीघ्र यह प्रणाली विकसित की जाएगी। दून विश्वविद्यालय में इस प्रोजेक्ट को देख रहे पर्यावरण विज्ञानी डॉ. विजय श्रीधर ने बताया कि परिसर में लगे वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के जरिये लोगों को अपने आसपास की आबोहवा का पता चल रहा है।
विश्वविद्यालय के शोधार्थी छात्रों को भी इससे मदद मिल रही है। इस सिस्टम की देखरेख में सालाना 20 से 22 लाख रुपये खर्च आता है। देशभर में अभी तक इस तरह की प्रणाली 336 स्थानों पर स्थापित की गई है। स्वच्छ हवा प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और इसके लिए राज्य के अन्य शहरों में भी इस तरह के उपकरण लगाए जाने चाहिए।
नदियों का प्रदूषण और कूड़े का डेटा भी करेंगे प्रदर्शित
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुधि ने बताया कि हम शहर को हर तरह से स्मार्ट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए चार नदियों सुसवा, सौंग, रिस्पना और बिंदाल के जल की गुणवत्ता सूचकांक को भी स्मार्ट पोल के जरिये प्रदर्शित किया जाएगा।
इसके अलावा नगर निगम से भी बातचीत की जा रही है, ताकि शहर से प्रतिदिन निकलने वाले कूड़े का डेटा भी स्मार्ट बोर्ड पर प्रदर्शित किया जा सके। आने वाले समय में शहर में प्रतिदिन कितने नए वाहनों का पंजीकरण हो रहा है, इसका डेटा भी प्रदर्शित किया जाएगा।
यह है हवा की शुद्धता का पैमाना
हवा की शुद्धता का पैमाना इसमें मौजूद श्वसनीय ठोस निलंबित कणों (रेस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) यानी पीएम-10 और 2.5 की मात्रा के आधार पर मापा जाता है। वार्षिक औसत आधार पर पीएम-10 की मात्रा 60 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसी तरह पीएम-2.5 की मात्रा वार्षिक आधार पर 40 से अधिक नहीं होनी चाहिए।